दूसरों के बारे में सोचो / महमूद दरवेश
जब तुम तैयार कर रहे होते हो अपना नाश्ता
दूसरों के बारे में सोचो
(भूल मत जाना कबूतरों को दाने डालना)
जब तुम लड़ रहे होते हो अपने युद्ध
दूसरों के बारे में सोचो
(मत भूलो उनके बारे में जो चाहते हैं शान्ति)
जब तुम चुकता कर रहे होते हो पानी का बिल
दूसरों के बारे में सोचो
(उनके बारे में जो टकटकी लगाए ताक रहे हैं मेघों को)
जब तुम जा रहे होते हो अपने घर की तरफ़
दूसरों के बारे में सोचो
(उन्हें मत भूल जाओ जो तंबुओं-छोलदारियों में कर रहे हैं निवास)
जब तुम सोते समय गिन रहे होते हो ग्रह-नक्षत्र-तारकदल
दूसरों के बारे में सोचो
(यहाँ वे भी हैं जिनके पास नहीं है सिर छिपाने की जगह)
जब तुम रूपकों से स्वयं को कर रहे होते हो विमुक्त
दूसरों के बारे में सोचो
(उनके बारे में जिनसे छीन लिया गया है बोलने का अधिकार)
जब तुम सोच रहे हो दूरस्थ दूसरों के बारे में
अपने बारे में सोचो
(कहो : मेरी ख़्वाहिश है कि मैं हो जाता अँधेरे में एक कंदील)
अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह