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आ गया है हमें वफ़ा करना / मनोहर विजय
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आ गया है हमें वफ़ा करना
हमसे बच बच के अब रहा करना
दोस्त क्या कम हैं ज़ख़्म देने को
कोई दुश्मन बना के क्या करना
सोचने के लिए बहुत कुछ है
भूली बातों को याद क्या करना
याद है हमको हर अदा तेरी
रूठ जाना ख़फा हुआ करना
अब तो सच बोलने लगा है ‘विजय’
मुन्तख़ब अब कोई सज़ा करना
