भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बिना विद्या के भारत देश / रसूल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:44, 1 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रसूल |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} Category:भोजपुरी भाषा <poem> बिना …)
बिना विद्या के भारत देश,
कैसी हुई गति तुम्हारी ।
लोग कहत हैं मोटर गाड़ी बहुत चलत है रेस
काठ का घोड़ा घंटा भर में चले सत्तासी कोस
राजा भोज के सवारी ।
बिना विद्या .........
ग्रामोंफोन के बोली सुन के लोग भयो लवलीन ।
विक्रमादित्य के तख्त के नीचे बत्तीस लगे मशीन,
जेहिमें बोली निकले न्यारी-न्यारी ।
बिना विद्या के .........