भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहाड़ हैं / मंगलेश डबराल
Kavita Kosh से
87.240.15.21 (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 16:25, 11 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: मंगलेश डबराल Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)
रचनाकार: मंगलेश डबराल
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
वे नींद के पहाड़ हैं
फैले हुए निमग्न
पहाड़ों पर
आती है नींद
(1988 में रचित)