भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नाता के तनला से तनाव होला / अंजन जी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:06, 1 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजन जी |संग्रह= }} {{KKCatKataa}} Category:भोजपुरी भाषा <poem> ना…)
नाता के तनला से तनाव होला
नीयरे रहि के दुराव होला,
नाता, पइसा पर कीनी-बेंची मति
लोभ का आगी में ढेर ताव होला ।