Last modified on 11 जून 2007, at 18:01

कविता की तरफ़ / मंगलेश डबराल

Lina niaj (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 18:01, 11 जून 2007 का अवतरण (New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: मंगलेश डबराल Category:कविताएँ Category:मंगलेश डबराल ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रचनाकार: मंगलेश डबराल

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~


जगह जगह बिखरी थीं घर की परेशानियाँ

साफ़ दिखती थीं दीवारें

एक चीज़ से छूटती थी किसी दूसरी चीज़ की गंध

कई कोने थे जहाँ कभी कोई नहीं गया था

जब तब हाथ से गिर जाता

कोई गिलास या चम्मच

घर के लोग देखते थे कविता की तरफ़ बहुत उम्मीद से

कविता रोटी और ठंडे पानी की एक घूँट कि एवज़

प्रेम और नींद की एवज़ कविता


मैं मुस्कराता था

कहता था कितना अच्छा घर

हकलाते थे शब्द

बिम्ब दिमाग़ में तितलियों की तरह मँडराते थे

वे सुनते थे एकटक

किस तरह मैं छिपा रहा था

कविता की परेशानियाँ ।


(1993)