भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज, अभी इस क्षण / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:31, 8 फ़रवरी 2011 का अवतरण
आज, अभी इस क्षण
बहुत उदास है मन
जैसे हृदय पर कोई
मार रहा हो घन
कहाँ गई वो रूपा
जिसका नाम गगन
छूट गया सब पीछे
हार गया हूँ रण
पर अब भी बाक़ी है
दुनिया में जीवन
1998