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व्याप्ति / दिनेश कुमार शुक्ल
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आकाश में टकरा रहे हैं
दो ग्रह पिण्ड इस समय
अभी-अभी ब्याई है
एक गाय
एक-एक करके
खिल रहे हैं घास के नीले फूल
अभी इसी क्षण
संगीत की तुरीयावस्था में
गूंजती
रेडियो पर आ रही है
बादल जल मादल-सी
एक लय,
इसी -- बिल्कुल
इसी संगीत की लहरें -- यही लहरें
स्पर्श कर रही हैं
मुझे, ग्रह पिण्डों को,
गाय को, बछड़े को
घास को, फूलों और
गायक को एक साथ
एक लय व्याप्त हो रही है
सारे ब्रह्माण्ड में।