भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँधी के आम / दिनेश कुमार शुक्ल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:44, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=कभी तो खुलें कपाट / दि…)
फिर यहीं आयेंगे ऋषि मुनि
इसी संकरे दुआर की
डयोढ़ी पर
नवायेंगे माथ,
सत्य की असिधार पर
चल कर वे आयेंगे
आतप में तपते हुए
आयेंगे घर-फूंक
बलिदानी अन्वेषक
भटकती ही रहेंगी
तुम्हारे भटकाव में
अक्षौहिणी सेनायें
डूबते रहेंगे
तुम्हारी गहराई में
साधक सिद्ध सुजान
छलकते रहेंगे अकारथ
तुम्हारे ये अमृतघट
बीनती रहेगी मृत्यु
आँधी के आम