भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चंद्रकूट वर्षा / दिनेश कुमार शुक्ल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:34, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=ललमुनिया की दुनिया / द…)
जब दृष्टि स्वयम् घुल गई दृश्य के साथ-साथ
तब जो भी था सब भर आया
भर आईं आँखें
कण्ठ
हृदय
सातों समुद्र
सब भर आये
आँसू बरसे
अमृत बरसा
बरसे तरकश के तीर
क्षीर-अमृत-हालाहल-कालकूट
गिरि चंद्रकूट की तरह
चमकते थे बादल
उन झड़ियों की झकझोर
यहाँ तक आती थी उन दिनों
यहाँ तक...