भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नींद / दिनेश कुमार शुक्ल
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:36, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=ललमुनिया की दुनिया / द…)
आज रात भर
अपने रंग मे
मुझे रँगा है गन्धर्वों ने
जनम-अवधि का जागा हूँ मैं
मुझे नींद की चादर जैसी
गहन
गभीर
विलम्बित लय दो