Last modified on 10 फ़रवरी 2011, at 18:48

घनी छाया / दिनेश कुमार शुक्ल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:48, 10 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=ललमुनिया की दुनिया / द…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इतना विराट् था
उसका दुख

उसी की घनी छाया में
जेठ की दुपहर को
मिला ठौर

और जो उसके परे था
जल रहा था लू लपट में