भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वैदर्भी रीति / दिनेश कुमार शुक्ल

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:26, 11 फ़रवरी 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अब मास्‍को के उपर
तैर रहा होगा सप्‍तर्षि मंडल
हवाई जहाजों के साथ

अब तुमने बन्‍द की होंगी
खिडकियां रंगून में

बताना तो
क्‍या नाम है अब वियतनाम का

स्‍कूलों में क्‍या
माली अब भी तैयार करते हैं
फूलों की क्‍यारियां

बिल्‍कुल सच्‍ची है खबर कि दुबारा
फांसी दी जाएगी भगत सिंह को

लाखों विचार
मस्तिष्‍क के अन्‍धकार में
टिमटिमा रहे हैं
इस अमावस की रात
मुझे लम्‍बी यात्रा पर जाना है
पढना तुम कल सुबह के अखबार में
विदर्भ के किसानों ने
शुरू कर दिया है
एक बिल्‍कुल ही नयी
कविता सी पृथ्‍वी का निर्माण...