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गूँगे प्रश्न हुए / रमेश चंद्र पंत
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उत्तर कहाँ तलाशें
लगता वे ही प्रश्न हुए !
फूलों की
मोहक बस्ती में
प्रस्तुत हुए बबूल
रंग-गंध की
भाषाओं के
घायल हुए उसूल
क़त्लगाह में
यहाँ रोज़ ही
जमकर जश्न हुए !
ना जाने
खो गए कहाँ वे
दूध-धुले एहसास
गुलमोहर की
शामें अक्सर
मिलतीं बहुत उदास
क्या-कुछ सुनें-सुनाएँ
अब तो गूँगे प्रश्न हुए !