भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

धरती जो मां है / भरत ओला

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:13, 14 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भरत ओला |संग्रह=सरहद के आर पार / भरत ओला}} {{KKCatKavita‎}} <Po…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कब कहा उसने
कि तुम
उसका पेट मत चीरो
और मत पीओ
मिठास

पर
पूरे जिस्म में
घूरे<ref>सुरंग</ref> करने की
कब दी थी उसने इजाजत

छाती पीटने
या मुकाण<ref>मृतक की पीछे उसके सम्बन्धियों के पास संवेदना प्रकट करने जाना</ref> जाने की बनिस्पत
आओं दरख्तों से बात करें

शब्दार्थ
<references/>