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कुछ अशआर / राहत इन्दौरी

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1
अपनी पहचान मिटाने को कहा जाता है
बस्तियाँ छोड़ के जाने को कहा जाता है

पत्तियाँ रोज़ गिरा जाती है ज़हरीली हवा
और हमें पेड़ लगाने को कहा जाता है

2
नए सफर का नया इंतज़ाम कह देंगे
हवा को धूप चरागों को शाम कह देंगे

किसी से हाथ भी छुपकर मिलाइए वर्ना
इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे

3
सूरज सितारे चाँद मेरे साथ मेँ रहे
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे

शाख़ों से टूट जायें वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे