भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
करसो / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:56, 17 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=क-क्को कोड रो / कन्ह…)
बावै
सिस्टी रै खेत में
करसो गिगनार
सूरज रो बीज,
सींचै हाळण पून
काढ‘र समंदर रै
कुएं स्यूं
बादळां री भरी चड़स
पांक्यां फसल
चिगदै
अंधेरै रै रिगदै स्यूं खळो
निकळै तारां रा दाणां
आवै चुगण नै
खोल‘र
ऊजळी पांखां
हिल्योड़ो
चांद कबूतर !