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परमाद ! / कन्हैया लाल सेठिया
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देख‘र सामनै
दरड़ो
कर लियो बै‘तो पाणी
मन मीठो
चल्यो चाळ स्यूं फेर
ले‘र बिसांई आगै
पण फिरग्यो अथारो
बणग्यो कादो
फैलगी चौफेर
दुरगिन्ध !