भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
झूठ साच / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:00, 17 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=क-क्को कोड रो / कन्ह…)
खुलै
सुंवैं चौपड़ै
झूठ रै मै‘ल री
पोळ
बड़ज्या
दड़ाछंट
होदै समेत हाथी
ऊभी
गांव रै गौरवैं
इकलखोरड़ी साच री झूंपड़ी
बड़ सकै मांय
नवा‘र माथो
कोई चेतना रो धणी !