Last modified on 17 फ़रवरी 2011, at 17:30

म्हारी मनस्या / कन्हैया लाल सेठिया

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:30, 17 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |संग्रह=क-क्को कोड रो / कन्ह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


जे हुवै
म्हारै सारै
कोनी फिरूं ले‘र
कलम री डांगड़ी
सिंझ्या सुवारै
रूळेड़ सबदां रै लारै,
मनैं लागै आछो
हल‘र खेत
पगां में पसरयोड़ी
सोनल रेत,
निपजाऊं
मोत्यां, मूंघी धान,
निरखूं च्यारूं मेर
फूल‘र पान,
सुणुं बैठ‘र
खेजड़ी री छयां
कमेड़यां री टमरक टूं
कबूतरा री गटर गूं
भोळा मिरघलां री छूं छूं
देखूं मोरियां नै
ताणतां छतरी
नाचती
बां रै सागै
हरी कचन दूबड़ी
करूं बाळपणै रै
साईनां नै चीत,
टेरूं अलगोजै में
कोई ओळ्यूं रो गीत
कोनी मनैं
छप्पण भोगां री भावण
रूच रूच‘र जीमूं
बाजरी रा सोगरा‘र
कांदां रो लगावण,
पीऊं गटगट
लोटड़ी रो ठरयोड़ो पाणी
हुवै रिंद रोही में
बांध्योड़ी ढ़ाणी,
मनैं लागै
कठखाणी
भाग दौड़ री जिनगानी
पण कद हुवै
किण रै ही मन री जाणी ?
लिख्यैड़ी करम में
तेली री घाणी !