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जेल का गिलास / अरुण कमल

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रचनाकारः अरुण कमल

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मुझको जो गिलास मिला है

अल्मुनियम का पिचका गन्दा गिलास

उस पर एक नाम खुदा है-- रामरतन

सफ़ाई मज़दूर संथाल परगना


आज जिस गिलास में मैं पानी पी रहा हूँ

उसी में पिया था पानी इस मज़दूर ने

दफ़ादार चौकीदार ने

बिजली मज़दूर स्कूल शिक्षक छात्र नौजवानों ने


एक ही नदी से पिया है जल सब ने

एक ही रास्ते चले सारे पाँव

जिसने भी रक्खा इस रास्ते पर पाँव

सागर से जा मिला