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दुख / सांवर दइया
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म्हारी जिंदगी मेम
इंयां चिप’र चाती हुयो है
दुखां रो डावड़ो
जिंयां कै
जेठ-असाढ में
सड़कां माथै रैवै
तावड़ो !