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चिपटा / नासिर अहमद सिकंदर
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काले रंग से बैर न हो यदि
जैसे चित्रकार नहीं करता बैर
तो जी भर देखें इसे
ख़ुद देखेंगे आप
अनगिनत संवेदनाओं का ज़खीरा है यह
आइए !
उस वक़्त देखें इसे
जब आग और हाथ के बीच
सेतु बना हो यह
यानि उस वक़्त
जब गृहिणी के हाथ में हो
इसके एक सिरे की पकड़
तब देखते बनेगी
इसके बल नाचती रोटी
सिकती आँच में
इसे उस वक़्त भी देखें ज़रूर
जब धुलने के लिए
तरह तरह के चमकदार, आकृतिकार
बर्तनोम के बीच
बेडौल-सा रखा हो यह
दो पैर आगे-पीछे
चलने को आतुर जैसे
वक़्त-वक़्त की बात है श्रीमान
अब ज़रा पीछे चलें
हम घर-परिवार वाले
आगे आ गए वक़्त से
और अब देखें इसे
यह ईदगाह में
हामिद का मोल लिया हुआ भी है
जो मित्रों के खिलौनों के बीच
विजयघोष करता
दादी माँ की संवेदना में शामिल होता है ।