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सवेरा / उमेश पंत

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सवेरा
सूर्य की विजय नहीं होता ।

अधिकार की लड़ाई में
तारों की पराजय या
चन्दमा का दमन भी नहीं ।

सवेरा
एक यात्रा है
अँधेरे में नहाकर
लौट जाना
रोज़ की तरह
निर्धारित सफ़र के लिए ।

सवेरा
किसी मानी का मद नही
होता
अहं के रंग में रंगी
सोने की
सुर्ख़ तलवार भी नहीं ।

सवेरा
कलाकार का चित्र है
नीले आधार पे उभरता
लाल रंग
और सोने की
छोटी-छोटी पंक्तियाँ ।

सवेरा
काजल की कोठरी में
सयाने का जाना है
और बिना कालिख लगे
सुरक्षित साफ़-साफ़
वापिस लौट आना ।

सवेरा
अंतहीन उजाला नहीं होता ।

निराशा की गर्त में
किसी अँधेरे की
गंभीर प्रतीक्षा भी नहीं ।

सवेरा
एक सच है
रात के सपनों को
साकार करने का
सुनहरा मौक़ा, और
नए सपने की
ज़मीनी हक़ीक़त देखने का भी ।