भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
और कांई / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:37, 22 फ़रवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सांवर दइया |संग्रह=मन-गत / सांवर दइया }} [[Category:मूल र…)
म्हारी आंख्यां सामैं
काळो पड़दो ताण’र
बां पूछियो-
अंधारै रो मतलब कांई ?
म्हैं कैयो-
मौत !
और कांई ?