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आश्वासन का लम्बा घूँट / शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान

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बैठो अभी
अभी बस साहब आने वाले हैं ।
 
तब तक लिखवालो तुम अपनी
मन-माफ़िक अर्ज़ी
लिखवाना कुछ सच का किस्सा
कुछ क़िस्सा फर्ज़ी

आश्वासन का
लम्बा घूँट पिलाने वाले है ।
बैठो अभी
अभी बस साहब आने वाले हैं ।

मेरी चिन्ता मन करना बस
चाय-पान काफ़ी
चाहोगे तो करवा दूँगा
सौ दो सौ माफ़ी
 
और दाँत
खाने के और दिखाने वाले है ।
बैठो अभी
अभी बस साहब आने वाले हैं ।
 
एक बार में काम न हो तो
कोई बात नहीं
आना लौट यहीं मत जाना
चलकर और कहीं

जैसे नमक
दाल में वैसा खाने वाले हैं ।
बैठो अभी
अभी बस साहब आने वाले हैं ।