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होटल / अरुण कमल

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रचनाकारः अरुण कमल

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1


सब कुछ यही रहता

ऎसी ही थाली

ऎसी ही कटोरी, ऎसा ही गिलास

ऎसी ही रोटी और ऎसा ही पानी;

बस थाली के एक तरफ़

माँ ने रख दी होती एक सुडौल हरी मिर्च

और थोड़ा-सा नमक ।


2


जैसे ही कौर उठाया

हाथ रुक गया ।


सामने किवाड़ से लगकर

रो रहा था वह लड़का

जिसने मेरे सामने

रक्खी थी थाली ।