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सवर्णों के प्रति / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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सवर्णों के प्रति (कविता अंश)

लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
दबे तुम्हारे, हाय हाय कर रोते हैं,
तुम्हें दया कुछ नहीं , तुम्हारे कुटिल पदों को
देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं।
(सवर्णों के प्रति कविता अंश)