भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सवर्णों के प्रति / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
Kavita Kosh से
Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:08, 2 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल }} {{KKCatKavita}} <poem> '''सवर्णों के प…)
सवर्णों के प्रति (कविता अंश)
लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
दबे तुम्हारे, हाय हाय कर रोते हैं,
तुम्हें दया कुछ नहीं , तुम्हारे कुटिल पदों को
देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं।
(सवर्णों के प्रति कविता अंश)