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अंधड़ (कविता का अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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 अंधड़ (कविता का अंश)
अंधड़ आया
धुल के रथ पर चढ़कर
गिरि कंधों से कूद
रेणु- अश्वों पर बढ़ कर गात,
(अंधड़ कविता से )