भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अंदाज़ / भवानीप्रसाद मिश्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:42, 5 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भवानीप्रसाद मिश्र |संग्रह=शरीर कविता फसलें और …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अंदाज़ लग जाता है
कि घिरने वाले हैं बादल
फटने वाला है आसमान

ख़त्म हो जाने वाला है
अस्तित्व
सूर्य का

इसी तरह
सुनाई पड़ जाता है स्वर
परिवर्तन के तूर्य का

कि छँटने वाले हैं बादल
साफ़ हो जाने वाला है फिर
आसमान

और गान
फिर गूँजने वाले हैं
पंछियों के और हमारे !