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मृग मारीचिका (कविता अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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मृग मारीचिका (कविता अंश)
यदि आंसू का वाष्प रूप ही
सजल श्याम वह धन था।
तो माया रूप कौन था, किसने
आकर मुझे लुभाया?
क्षण भर को प्राणों पर डाली वह सतरंगी छाया।
(मृग मारीचिका कविता का अंश)