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मेरा भविष्य (कविता का अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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मेरा भविष्य (कविता का अंश)
 
घुल जाऊंगा मैं ज्योत्सना में लघु जुगनू सा
टपक पडूंगा ओस -बिन्दु सा किसी गगन का।
उषा हास, में मिल जाऊंगा मैं दीपक सा,
पिघल पडूंगा शुचि चरणों मेें सावन धन सा,
छिप जाऊंगा मैं सपना बन किसी नयन का
टपक पडूंगा ओस बिन्दु सा किसी गगल का।
(मेरा भविष्य कविता का अंश)