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जीवन सरिता / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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जीवन सरिता
(दूती के रूप में प्रकृति चित्रण)
जीवन की दूती जीवन को
सौंपती मृत्यु के हाथों जो।
उत्पन्न स्वर्ग के हिम से हो
शैलों में काट स्व बचपन को।
यौवन पर पृथ्वी में बह कर
अन्त में डूब जाती सत्वर
(जीवन सरिता कविता का अंश)