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आशा की डोरी / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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आशा की डोरी
(निराशा का चित्रण)
आशा की डोरी में
जीवन झूल रहा है
काँटों में यह पीड़ित यौवन
फूल रहा है।
आती भाँति-भँाति की किरणें
और हवायें
पड़ती प्राणों पर सौ सौ
सुन्दर छायाऐं ।
हाय हृदय पिय का क्यों
इसको भूल रहा है
काँटों में यह पीड़ित यौवन
फूल रहा है।
(आशा की डोरी कविता का अंश)