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मां-दो / मोहन आलोक

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मां
सांस है
यह शब्द है
या मंत्र है
जाने क्या है ?

इस के तो उच्चारण से ही
हृदय भरने लगता है ।

मां
मेरी समझ में
ध्यान की कोई विधि है
इस के तो
स्मरण मात्र से ही
अमृत झरने लगता है ।


अनुवाद : नीरज दइया