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'क' से कविता / सांवर दइया
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पिता की जिंदगी में पीड़ा
क से कर्ज
मां की आंखों में सपना
क से कमाई
भाइयों के लिए भविष्य
क से कमठाणा
मेरे लिए-
क से कविता !
अनुवाद : नीरज दइया