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ज्योति-धाम / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
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सूरज ने सोने के हल ले
चीरा नीलम का आसमान
किरणों ने हँस कोमल असंख्य
बोए प्रकाश के पीत धान
वे उगे गगन में, पल भर में
पक कर फैले इस धरणी पर