Last modified on 9 मार्च 2011, at 14:02

शिव स्तुति (राग बसन्त) / तुलसीदास

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:02, 9 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तुलसीदास }} {{KKCatKavita}} <poem> '''शिव स्तुति (राग बसन्त)''' स्…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

शिव स्तुति (राग बसन्त)

स्ेावहु सिव-चरन-सरोज-रेनु।
 कल्यान-अखिल-प्रद कामधेनु।।

कर्पूर-गौर, करूना-उदार।
संसार-सार, भुजगेन्द्र-हार।।

सुख-जन्मभूमि, महिमा अपार।
निर्गुन, गुननायक, निराकार।।

त्रयनयन, मयन-मर्दन महेस।
अहँकार-निहार-उदित दिनेस।।

बर बाल निसाकर मौलि भ्राज।
त्रैलोक-सोकहर प्रमभराज।।

जिन्ह कहँ बिधि सुगति न लिखी भाल।
तिन्ह की गति कासीपति कृपाल।।
 
उपकारी कोऽपर हर-समान।
सुर-असुर जरत कृत गरल पान।।

बहु कल्प उपायन करि अनेक।
बिनु संभु-कृपा नहिं भव-बिबेक।।

बिग्यान-भवन, गिरिसुता-रमन।
कह तुलसिदास मम त्राससमन।।