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हनुमत स्तुति (राग गौरी) / तुलसीदास

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हनुमत स्तुति (राग गौरी)

जय ताकिहै तमकि ताकी ओर को।
 
जाको है सब भांति भरोसो कपि केसरी-किसोरको।।
 
जन-रंजन अरिगन-गंजन मुख-भंजन खल बरजोरको।

बेद- पुरान-प्रगट पुरूषाराि सकल-सुभट -सिरमोर केा।।
 
उथपे-थपन, थपे उथपन पन, बिबुधबृंद बँदिछोर को।

जलधि लाँधि दहि लंे प्रबल बल दलन निसाचर घोर को।।

जाको बालबिनोद समुझि जिय डरत दिाकर भोरको।
 
जाकी चिबुक-चोट चूरन किय रद-मद कुलिस कठोरको।।

लोकपाल अनुकूल बिलोकिवो चहत बिलोचन-कोरको।

सदा अभय, जय, मुद-मंगलमय जो सेवक रनरोर को।।

भगत-कामतरू नाम राम परिपूरन चंद चकोरको।

तुलसी फल चारों करतल जस गावत गईबहोरको।।