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यह वो समय / अरुण कमल

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रचनाकारः अरूण कमल

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यह वो समय है जब
कट चुकी है फसल
और नया बोने का दिन नहीं

खेत पड़े हैं उघारे
अन्यमनस्क है मिट्टी सहसा धूप में पड़ कर -
हर थोड़ी दूर पर मेंड़ों की छाँह-
चमकती हैं कटी खूँटियाँ
दूर पर चरती भेड़ों के रेवड़
और मूसकोल
और चींटियों के बिल के बाहर मिट्टी चूर

यह वो समय है जब
शेष हो चुका है पुराना
और नया आने को शेष है