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स्टेशन / असद ज़ैदी

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26 डिग्री और 77 डिग्री देशान्तर पर

एक छोटा सा स्टेशन है

जिस पर पानी बरस रहा है

और पिछले बीस साल से एक तख़्ती

लटकी है :'अजनबियों से सावधान !'


मज़मून अँग्रेज़ी में है ठग लिए जाते हैं

वे जिन्हें नहीं आती अँग्रेज़ी


शेड से पानी चू रहा था

एक साढ़े चौदह साला लड़का

जिसने पलकें मूँदकर मैट्रिक कर लिया था

अनमना खड़ा चाय पीता था

सब की ओर पीठ किए

स्टाल के सामने अकेला

उसे पता नहीं था वह कौन थी

और वहाँ क्यों खड़ी हुई थी

जब मुड़कर वह चलने लगा

पीछे से आवाज़ आई


छोटी मौसी की उम्र की एक लड़की

सुन्दर और बदहाल

उसे बुलाती थी

कहती थी :

भइया तीन रुपये

तुम्हारे पास होंगे मैं

मुसीबत में फ़ँस गई हूँ

मुझसे कुछ मत पूछना मैं तुमको ये पैसे लौटती

डाक से भेज दूँगी अपना नाम और

पता लिख दो इतना भरोसा तो

तुम मेरा करोगे ।


मैं तुम्हारे लिए भागता हुआ

गया था दस का नोट तुड़ाने

स्टेशन के पार-- बाज़ार में

और बारिश में तरबतर होकर

लौटा था बदहवास

लेकिन बदकिस्मती से तुम वहाँ नहीं थीं

और अगले दिन भी वहाँ नहीं थीं

और उसके अगले दिन भी