भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मायूसी / मिथिलेश श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:30, 27 मार्च 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मिथिलेश श्रीवास्तव |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> मदनगीर इ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मदनगीर इस शहर में एक जगह है
जहाँ से आने वाले लोगों को देख कर
जाना जा सकता है उन लोगों को जो
रखते हैं जीवित इस शहर को

यह शहर
अपने हाथों अपने सिर पर रखता है ताज
एक मायूस बादशाह की तरह