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जानेमन नाराज़ ना हो / पूर्णिमा वर्मन

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जानेमन नाराज़ ना हो


समय पाखी उड़ गया तो

भाग्य-लेखा मिट गया तो

पोर पर अनमोल ये पल

क्या पता कल साथ न हो


जानेमन नाराज़ ना हो ।


ज़िन्दगी एक नीड़-सी है

हर तरफ़ एक भीड़-सी है

कल ये तिनके उड़ गए तो

फिर न जाने कल कहाँ हो


जानेमन नाराज़ न हो ।