भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बसंत के आगमन की सूचनाएँ / हरे राम सिंह

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:40, 28 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारे गदराए यौवन
और ये कस उभार
बसंत के आगमन की सूचनाएँ हैं।
उड़ती तितलियाँ और गुनगुनाते भौंरे
और मेरे मन की हिलोरें
संवाद स्थापित कर कहती हैं -
तुम आ रही हो।
ये ठोस उभार
जीवन-आश्चर्य के पिरामिड हैं
जहाँ दफ़नाए गए हैं-
अजन्मे के लिए अन्न-भंडार
उष्ण सफ़ेद-सी अमृत-धारा
धरती पर उगे ये ज्वालामुखी
अपने क्रेटर पर उगाते हैं
कमल के फूल
और मन भ्रमर महसूस करता है-
लावे पर उग आईं नीली कोमल पंखुड़ियों को।
तट पर खड़ा मल्लाह
दूर अगाध समुद्रमें निहारता है
लंगर डाले खड़े दो जहाज़
और हाथ के कबूतर उड़ जाते हैं।
तुम्हारे गदराए यौवन
और ये कस उभार
बसंत के आगमन की सूचनाएँ हैं।