भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वसंत / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:02, 28 मार्च 2011 का अवतरण
नरम घास पर टूट
गिरी सूखी टहनी
मैने तुम्हारी गोद में
अपना मुंह छिपा लिया