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वर्षा चुपके से कहती है / येहूदा आमिखाई
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वर्षा चुपके से कहती है
अब तुम सो सकते हो।
मेरे बिस्तर के पीछे अख़बार के परों की सरसराहट के सिवा
और कोई फ़रिश्ता नहीं।
उठूंगा बड़े भोर देने नए दिन को नज़राना
ताकि वह रहे थोड़ा-सा हम पर मेहरबान।
हिब्रू से हरोल्ड शिमेल के अंग्रेज़ी अनुवाद के आधार पर रमण सिन्हा द्वारा हिन्दी में भाषान्तर