भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वर्षा आई / श्याम सुन्दर अग्रवाल

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:39, 31 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

काले-काले बादल आए,
छाई घटा घनघोर।
चमक-चमक के बिजली गरजी,
खूब मचाया शोर।

लगी चहकने चिड़िया रानी,
नाची खूब गिलहरी।
बच्चों ने इतना शोर मचाया,
दादी हो गई बहरी।