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मृत्यु-4 / शुभाशीष चक्रवर्ती
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तुम्हारे नहीं होने का अस्वाद
अचानक फैल रहा है
मैं अनिश्चित तुम्हारे पीछे
दौड़ रहा हूँ
तुम उस पार के नक्षत्रों के
नीचे खेल रही हो
मैं मृत्यु पर लिखी
किताबें पढ़ रहा हूँ