भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज्योति पर्व : ज्योति वंदना / नरेन्द्र शर्मा
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:20, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण
जीवन की अंधियारी
रात हो उजारी!
धरती पर धरो चरण
तिमिर-तम हारी
परम व्योमचारी!
चरण धरो, दीपंकर,
जाए कट तिमिर-पाश!
दिशि-दिशि में चरण धूलि
छाए बन कर-प्रकाश!
आओ, नक्षत्र-पुरुष,
गगन-वन-विहारी
परम व्योमचारी!
आओ तुम, दीपों को
निरावरण करे निशा!
चरणों में स्वर्ण-हास
बिखरा दे दिशा-दिशा!
पा कर आलोक,
मृत्यु-लोक हो सुखारी
नयन हों पुजारी!